रिपोर्ट – सैयद ईनाम उद्दीन
सिल्क टीवी/भागलपुर (बिहार) : अमृतराय शताब्दी स्मरण पर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी हिंदी विभाग में शुक्रवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दो दिवसीय संगोष्ठी के पहले दिन वक्ताओं ने मुंशी प्रेमचंद के छोटे बेटे अमृतराय की जीवनी और लेखनी पर प्रकाश डाला।

राष्ट्रीय संगोष्ठी में अमृतराय: स्वतंत्र चिंतन की बहुमुखता विषय पर रांची से आए मुख्य वक्ता प्रो. रविभूषण ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य में कुछ रचनाकार सदैव उपेक्षा का शिकार रहे हैं। इन्हीं रचनाकारों में एक नाम आता है अमृतराय का। लेकिन टीएमबीयू हिन्दी विभाग ने मार्क्सवादी लेखक अमृतराय पर कार्यक्रम आयोजित कर देशभर में सकारात्मक संदेश देने का काम किया है।

अपने संबोधन में प्रो. रविभूषण ने कहा कि फणीश्वर नाथ रेणु पर भी इस विभाग ने पिछ्ले दिनों दो दिवसीय ऑफलाइन सेमिनार आयोजित कर कीर्तिमान स्थापित किया। बताया कि अमृतराय पर संगोष्ठी का आयोजन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कहीं भी अमृतराय के जन्मशताब्दी की सुध नहीं ली गई।

कार्यक्रम में टीएमबीयू के प्रति कुलपति प्रो. रमेश कुमार, हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र महतो, डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. आशुतोष, किशन कलजयी समेत कई वक्ताओं ने अमृतराय के व्यक्तित्व और कृतित्व के सभी आयामों पर प्रकाश डाला। जबकि आयोजन सचिव दिव्यानंद ने मंच संचालन करते हुए कहा कि अमृतराय कलम के सिपाही थे।

साथ ही उन्होंने अमृतराय की कहानी, उपन्यास, संस्मरण, आलोचना और निबंध के अनेक पहलुओं को खूबसूरती के साथ साझा किया। इस दौरान डॉ. पवन कुमार सिंह की दो पुस्तक, फणीश्वर नाथ रेणु का कथालोक और हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपन्यासों की भाषा का विमोचन भी किया गया। मौके पर डीएसडब्ल्यू प्रो. रामप्रवेश सिंह, डॉ. सुजाता चौधरी, प्रो. केके मंडल समेत कई शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।