परिनिर्वाण दिवस पर महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज को गुरु भक्तों ने किया नमन….

रिपोर्ट – रवि शंकर सिन्हा
सिल्क टीवी, भागलपुर (बिहार) : महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के परम शिष्य और गुरु भक्त महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज का परिनिर्वाण दिवस 4 जून को मनाया जाता है। वर्ष 2007 के 4 जून को महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज का परिनिर्वाण हुआ था। इस दिवस को प्रत्येक वर्ष बड़े ही उल्लास से महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट भागलपुर में मनाया जाता रहा है। इस महापर्व को संतमत अनुयाई अपने अपने गांव आश्रम देवालय में भी एकत्रित होकर मनाया करते हैं, विश्व विख्यात संत महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के मस्तिष्क का स्वरूप महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज का जन्म 20 दिसंबर 1920 ईस्वी को मधेपुरा जिला अंतर्गत गम्हरिया गांव में हुआ था। इन्होंने अपने जीवन को गुरु सेवा में समर्पित कर दिया और जीवन पर्यंत अपने गुरु की सेवा में रहे। इनकी सेवा और साधना से प्रसन्न होकर गुरु महाराज ने इनका नाम संतसेवी रखा था। महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज ने अपने आचार्य पद को भी बड़े ही निष्ठा और मर्यादा से निभाते हुए गुरु महाराज से मिले ज्ञान को जन-जन तक फैलाया, और संतमत के गूढ़ विषय को सबके बीच रखा। इन्होंने अपने गुरु महाराज की सेवा में 40 वर्षों तक अनवरत लगाया। परिनिर्वाण दिवस पर महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट के विशिष्ट महात्माओं द्वारा उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया। वहीं मंच पर उपस्थित गुरु सेवी स्वामी भागीरथ दास जी महाराज ने प्रवचन के माध्यम से कहा कि संतसेवी जी महाराज ऐसे गुरु भक्त हैं, जो कि गुरु महाराज हमेशा सेवा करने के लिए तत्पर रहते थे। स्वामी प्रमोद बाबा ने कहा कि महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज गुरु सेवा में कभी पीछे नहीं हटते थे। स्वामी नरेश आनंद जी महाराज ने कहा कि गुरु सेवा करने से संसार के जितने भी फल है वह मिल जाते हैं, और गुरु के समान बन जाते हैं। स्वामी विद्यानंद जी महाराज प्रवचन के माध्यम से कहा कि गुरु सेवा करने से महर्षि संतसेवी जी महाराज जी के अंदर गुरु के सभी गुण आ गए थे। स्वामी नंदन जी महाराज ने कहा कि प्रवचन के माध्यम से महर्षि संतसेवी जी महाराज चलता फिरता पुस्तकालय थे। मौके पर पंकज बाबा, संजय बाबा, रमेश बाबा, रविन्द्र बाबा, मोनू बाबा, कैलाश बाबा, ज्ञानी बाबा समेत आश्रम के सभी साधु मौजूद थे।