भागलपुरस्वास्थ्य

नेचुरोपैथ डॉक्टर बनने की राह हुई आसान, भागलपुर में मिलेगा प्रशिक्षण….

रिपोर्ट – सैयद ईनाम उद्दीन

सिल्क टीवी भागलपुर (बिहार) : प्राकृतिक चिकित्सा का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना की स्वयं प्रकृति का। यह चिकित्सा विज्ञान आज की सभी चिकित्सा प्रणालियों से पुरानी है। कहा जाता है कि यह दूसरी चिकित्सा पद्धतियों की जननी है। जिसका वर्णन पौराणिक ग्रन्थों एवं वेदों में भी मिलता है। जानकारों की मानें तो प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है, जिसका लक्ष्य प्रकृति में उपलब्ध तत्वों के उचित इस्तेमाल द्वारा रोग के मूल कारण को समाप्त करना है।

वहीं भागलपुर रेलवे स्टेशन के समीप देशी दवाखाना के आयुर्वेदाचार्य देवेंद्र कुमार गुप्त ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा सभी प्रकार की बीमारियों के लिए कारगर है। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से विश्व के कई देश में जहां लोग मर रहे थे, उसी समय भारत में लोग आसानी से कोरोना से जंग जीत रहे थे। क्योंकि कोरोना काल में लोगों के जंग जीतने के पीछे की वजह थी शरीर के अंदर बेहतर इम्युनिटी का विकसित होना और लोगों में इम्यूनिटी विकसित होने के पीछे प्राकृतिक चिकित्सा या आयुर्वेद सबसे कारगर रहा। जो अपने देश की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है।

नेचुरोपैथ वैद्य देवेंद्र गुप्त ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए देशी दवाखाना बेहतर विकल्प है। जहां से नेचुरोपैथ डॉक्टर बनने का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के आयुष विभाग से मान्यता प्राप्त संस्था गांधी नेशनल एकेडमी ऑफ नेचुरोपैथी से छात्रों का कोर्स पूरा करवाने के साथ उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज भी दिया जाता है।

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