
रिपोर्ट – सत्यम पाण्डेय
सिल्क टीवी/भागलपुर (बिहार) : रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ रक्षा करने वाला बंधन मतलब धागा है। इस पर्व में बहनें अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है। और बदले में भाई जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।

यह श्रावण माह के पूर्णिमा में पड़ने वाला हिंदू तथा जैन धर्म का प्रमुख त्योहार है। रक्षा सूत्र सिर्फ रेशम की डोर या धागा नहीं, बल्कि बहन भाई के अटूट व पवित्र प्रेम का बंधन है, इस धागे में रक्षा कवच बनने का अद्भुत सामर्थ छिपा है।

एक ओर भाई अपने दायित्व निभाने का वचन बहन को देता है,तो दूसरी और बहन भी भाई की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती है, ऐसी भी मान्यता है कि भगवान गणेश के बेटे शुभ और लाभ एक बहन चाहते थे। तब भगवान गणेश ने यज्ञ विधि से संतोषी मां का आह्वान किया।

रक्षाबंधन को शुभ लाभ और संतोषी मां के दिव्य रिश्ते की याद में भी मनाया जाता है।