बिहार

गाँव को बाढ़ से बचाने के लिए डॉक्टर ने नई विधि का किया सफल परीक्षण, कहा अब ग्रामीणों को नहीं करना होगा पलायन…..

रिपोर्ट – सैयद ईनाम उद्दीन

सिल्क टीवी/भागलपुर (बिहार) : राज्य के 38 में 28 जिले हर साल बाढ़ की विभीषिका को झेलते हैं। कोसी, गंडक, बागमती, कमला बलान, गंगा, बूढ़ी गंडक, पुनपुन, महानंदा और सोन, ये वो नदियां हैं जो बिहार में जितनी खुशहाली नहीं लातीं उससे ज्यादा तबाही का कारण बनती है। वहीं राज्य मे बाढ़ एक ऐसी कहानी बन चुकी है जिसके हालात में साल दर साल कभी कोई सुधार होता नहीं दिखा। वहीं देश में जब भी मानसून आता है तो सभी जगह फसलों और खेती के लिए खुशहाली का आलम होता है लेकिन बिहार में तबाही का। सरकार सर्वे, बजट और प्लान ही तैयार करती रहती है लेकिन जमीनी हालात जस की तस। इस बीच ग्रामीणों के पास पलायन के आलावा कोई विकल्प भी नहीं रहता। इधर भागलपुर में बाढ़ की तबाही का दर्दनाक मंजर देखने के बाद सामाजिक संस्था जीवन जागृति सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ.अजय कुमार सिंह और उनकी टीम ने एक ऐसी विधि खोज निकाली है जिसके प्रयोग से गांव में बाढ़ की प्रलयकारी धारा को रोका जा सकता है। जदयू चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि गंगा और कोसी नदी के किनारे बसे गांव में अक्सर बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाता है। हालांकि सरकार द्वारा इसको रोकने का भरसक प्रयास किया जाता है। उन्होने कहा कि वर्तमान में पानी की तेज धार को कम करने के लिए सीमेंट की बोरी में जो बालू भरकर रखा जाता है वह बाढ़ में बह जाता है। डॉ. अजय ने दावा किया कि त्वरित गति और सक्षम तरीके से बाढ़ को रोकने के लिए कोई भी तरीका अभी तक कारगर नहीं दिखा। ऐसे में जीवन जागृति सोसायटी द्वारा एक नई विधि का इजाद किया गया। जिसका सफल परीक्षण रविवार को खरीक प्रखंड स्थित चोरहर गांव में किया गया, जहां अभी कई घर कोशी में विलीन हो चुके हैं। डॉ. अजय एंड टीम केज मॉडल टू सेव विलेज फ्रोम फ्लड को लेकर अध्यक्ष ने कहा कि जो उपकरण बनाये गए हैं वह सब लोहे के हैं । साथ ही फ्रेम को तार के जाली से घेर कर एक पिंजड़ा नुमा आकर दिया गया है ,जो तत्काल10 फीट ऊंचा और चार फीट चौड़ा पिंजड़ा जैसा है।जिसके प्रयोग से रातो रात गांव में बांध की तरह मजबूत दीवार का निर्माण किया जा सकता है। वहीं परीक्षण की दौरान उपकरण को रस्सी के सहारे पानी मे उतारा गया। वहीं बाढ़ रोकने की इस विधि को देखने के बाद ग्रामीणों में काफी उत्साह दिखा। जीवन जागृति के अध्यक्ष ने कहा कि यह उपकरण काफी कम लागत का है। लेकिन इसके इस्तेमाल से करोडों रुपये सरकार के बच सकते हैं। मौके पर मुखिया आशीष रंजन ने कहा कि इससे हर साल होने वाले धन के दुरुपयोग से बचा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर दूसरे गांव भी भेजा जा सकता है। गौरतलब हो कि मार्च महीने में सरकार ने जीवन जागृति सोसाइटी के आग से बचाव को लेकर बनाए गए यंत्र डॉ. अजय फायर एक्जिट तकनीक को मान्यता दी थी।

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